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February 5, 2025

मान अपमान को छोड़ना होगा

हमारे परम-चरम लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति के लिए अनंत जन्मों से प्रयत्नशील रहने पर भी हम लक्ष्य से वंचित रहे क्योंकि प्रयत्न के साथ जिन चीजों का त्याग करना था वो हमने नहीं किया। जिस मान-अपमान की बीमारी को छोड़ना था उसे मन से छोड़ न सके , उसी झगड़े में सदा उलझे रहे । कभी सम्मान मिलने पर अहंकार युक्त हो गए तो कभी अपमान होने पर दुखी या क्रोधित होते रहे।

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January 22, 2025

सबसे बड़ा मूर्ख कौन है ?

कितनी विचित्र बात है ! कि इस संसार में हर व्यक्ति सदा स्वयं को सबसे समझदार और दूसरे को मूर्ख मानता है और यही सिद्ध करने के लिए प्रयत्नशील भी रहता है जबकि वास्तविकता ये है कि हम सभी मूर्ख हैं। प्रत्येक मायाबद्ध मनुष्य जो स्वयं को देह मानता है, शरीर को ही 'मैं' मानता है वो ही सबसे बड़ा मूर्ख है और ऐसे हम सभी हैं।

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November 7, 2024

भक्ति में अनन्यता परमावश्यक है

हम सभी अनंतानंत जन्मों से भक्ति करते आए हैं क्योंकि जीव अनादि है इसलिए अनंत बार मानव देह मिला, सद्गुरु मिले, हमने भक्ति भी की लेकिन अनन्यता न होने के कारण हमारी भक्ति कभी परिपक्व नहीं हो पाई, पूर्ण नहीं हो पाई और इसी गड़बड़ी के कारण हम आज भी अपने परम चरम लक्ष्य से वंचित हैं।

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September 24, 2024

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रचारिका सुश्री श्रीधरी दीदी द्वारा भक्ति संदेश!

सारा विश्व दान करो गोविंद राधे। तो भी गुरु ऋण ते ना उऋण करा दे ।। ( राधा गोविंद गीत )
सद्गुरु कृपाकांक्षी भक्तवृन्द ! जय श्री राधे !
इस अगाध भवसिंधु में डूबते हुए, अकुलाते हुए जीवों के लिए सद्गुरु ही एकमात्र आश्रय हैं ।

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August 13, 2024

संसार मृगतृष्णा के समान है

आनंद-ब्रह्म का अंश होने के कारण प्रत्येक जीव अनादिकाल से एकमात्र आनंद ही प्राप्त करना चाहता है। यही जीव का परम चरम लक्ष्य है -
सुखाय कर्माणि करोति लोको न तै: सुखं वान्यदुपारमं वा।
विंदेत भूयस्ततएव दुःखं यदत्र युक्तं भगवान्वदेन्न:(भागवत : 3-5-2)

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June 11, 2024

भागवत में श्री राधा का वर्णन क्यों नहीं है ?

कुछ भोले-भाले लोग जिन्हें किसी वास्तविक संत का सान्निध्य प्राप्त नहीं है वे ऐसी शंका करते हैं कि श्री राधा का वर्णन भागवत में क्यों नहीं है? श्रीमद्भागवत तो सर्वश्रेष्ठ महापुराण है जिसमें श्री कृष्ण लीलाओं का विशेष निरूपण किया गया है फिर उसमें कहीं राधा तत्त्व का निरूपण क्यों नहीं है?

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May 30, 2024

भक्ति का अधिकारी कौन है

समस्त वेदों-शास्त्रों में भक्ति को ही भगवत्प्राप्ति का एक मात्र मार्ग बताया गया है।
भक्तिरेवैनं नयति भक्तिरेवैनं पश्यति भक्तिरेवैनं दर्शयति
भक्तिवशः पुरुषः भक्तिरेव भूयसी
(माठर श्रुति)

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April 6, 2020

कोरोना पीड़ितों की सहायता हेतु 5.70 लाख रुपये का सहयोग

हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार सम्पूर्ण वसुधा (पृथ्वी) ही हमारा कुटुम्ब (परिवार) है क्योंकि हम सभी उस एक ईश्वर की संतान हैं, उसके सनातन अंश हैं।

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November 25, 2019

What Our Soul Is Seeking For

The word God is very common. Everyone knows this particular word. Then what is meant by the word God? Seldom people know. In our Vedas, it says, “As you know Him, you find Him.”

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November 11, 2019

किस बात का अहंकार ?

मनुष्य की सारी आयु सारहीन चीजों के अहंकार में ही व्यतीत हो जाती है और इसी निरर्थक अहंकार के कारण ही अनादिकाल से आजतक हम न किसी भगवान के अवतार के आगे शरणागत हो सके न महापुरुषों के।

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