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September 28, 2019

श्री राधा कौन हैं ?

जो राधा हैं वही श्री कृष्ण हैं। केवल लीला करने के लिए, भक्तों को सुख प्रदान करने के लिए एक ही पूर्णतम पुरुषोत्तम ब्रह्म ने अपने दो रूप बना लिए। इनका देह भी एक है।



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September 17, 2019

गुरु महिमा अपरंपार

"गुरु" दो अक्षर के इस छोटे से शब्द में सम्पूर्ण आध्यात्मिक जगत समाहित है। गुरु तत्त्व की शरणागति के बिना आध्यात्मिक जगत में किसी जीव का प्रवेश ही नहीं हो सकता।

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September 6, 2019

चिंता नहीं चिंतन करें

कैसी विचित्र स्थिति है मनुष्य की? दिन-रात अनेकानेक चिंताओं में निरंतर घुलता हुआ भी वह व्यक्ति न तो किसी के सामने अपनी दयनीय स्थिति को स्वीकार कर पाता है और न स्वयं ही इस वस्तुस्थिति पर विचार कर पाता है

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August 27, 2019

भगवान अवतार क्यों लेते हैं ?

इस संसार में दो प्रकार के लोग हैं। एक आस्तिक जो ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते हैं और दूसरे हैं नास्तिक जो भगवान की सत्ता को नकार देते हैं।

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August 5, 2019

जीवन पानी के बुलबुले के समान है

कितने आश्चर्य की बात है कि दिन रात मिथ्या अहंकार में जीता हुआ ये मनुष्य अपने चारों ओर मृत्यु का  तांडव देखते हुए भी अपनी मृत्यु को भूल जाता है।

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July 29, 2019

भक्ति का अधिकारी कौन है ?

भगवान केवल भक्ति से ही रीझते हैं अन्य किसी गुण, योग्यता इत्यादि की अपेक्षा नहीं करते। इसलिए भक्ति मार्ग के अधिकारी सभी जीव हैं।

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July 22, 2019

भक्ति में अनन्यता परमावश्यक है

हम सभी अनंतानंत जन्मों से भक्ति करते आए हैं क्योंकि जीव अनादि है इसलिए अनंत बार मानव देह मिला, सद्गुरु मिले, हमने भक्ति भी की लेकिन अनन्यता न होने के कारण हमारी भक्ति कभी परिपक्व नहीं हो पाई

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July 15, 2019

परदोषदर्शी नहीं स्वदोषदर्शी बनें

हमारा पूरा जीवन कितना खोखला है, हम स्वयं अनंत दोषों के भंडार हैं लेकिन फिर भी हमारा पूरा जीवन दूसरों के दोषदर्शन में यानि उनके अवगुण देखने में, कथन करने इत्यादि में ही व्यतीत हो जाता है।

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July 8, 2019

संसार मृगतृष्णा के समान है

आनंद-ब्रह्म का अंश होने के कारण प्रत्येक जीव अनादिकाल से एकमात्र आनंद ही प्राप्त करना चाहता है। यही जीव का परम चरम लक्ष्य है

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July 1, 2019

मनुष्य ही भाग्य विधाता है

संसार में अधिकांश लोग भाग्य, भाग्य का नारा लगाकर अकर्मण्य हो जाते हैं। घोर संसारी लोग तो ऐसा करते ही हैं साथ ही अध्यात्म पथ पर चलने की इच्छा रखने वाले लोग भी प्रायः यह कहते देखे जाते हैं कि...

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