Latest From Our Blog
राधारानी का दरबार सबसे ऊँचा क्यों ?
सर्वोच्च रस की प्राप्ति के लिए माधुर्य भाव-युक्त भक्ति में महारसिकों का अधिक झुकाव श्री राधारानी के प्रति होता है।
Read Moreक्रोध पर क्रोध करें किसी और पर नहीं
कई लोग अपने जीवन में बात-बात पर क्रोध का प्रदर्शन करके स्वयं को बड़ा ताकतवर समझते हैं लेकिन वास्तव में यह क्रोध मनुष्य की ताकत नहीं, एक कमजोरी है, बहुत बड़ा दुर्गुण हैं।
Read Moreकृपासिंधु भगवान
उनकी हर चीज़ अनंत है। नाम अनंत, रूप अनंत, धाम अनंत, जन अनंत, शक्तियाँ अनंत। उनकी कोई भी चीज़ सीमित है ही नहीं। इसी प्रकार उनके गुण भी अनंत हैं।
Read Moreश्री राधा कौन हैं ?
जो राधा हैं वही श्री कृष्ण हैं। केवल लीला करने के लिए, भक्तों को सुख प्रदान करने के लिए एक ही पूर्णतम पुरुषोत्तम ब्रह्म ने अपने दो रूप बना लिए। इनका देह भी एक है।
गुरु महिमा अपरंपार
"गुरु" दो अक्षर के इस छोटे से शब्द में सम्पूर्ण आध्यात्मिक जगत समाहित है। गुरु तत्त्व की शरणागति के बिना आध्यात्मिक जगत में किसी जीव का प्रवेश ही नहीं हो सकता।
Read Moreचिंता नहीं चिंतन करें
कैसी विचित्र स्थिति है मनुष्य की? दिन-रात अनेकानेक चिंताओं में निरंतर घुलता हुआ भी वह व्यक्ति न तो किसी के सामने अपनी दयनीय स्थिति को स्वीकार कर पाता है और न स्वयं ही इस वस्तुस्थिति पर विचार कर पाता है
Read Moreभगवान अवतार क्यों लेते हैं ?
इस संसार में दो प्रकार के लोग हैं। एक आस्तिक जो ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते हैं और दूसरे हैं नास्तिक जो भगवान की सत्ता को नकार देते हैं।
Read Moreजीवन पानी के बुलबुले के समान है
कितने आश्चर्य की बात है कि दिन रात मिथ्या अहंकार में जीता हुआ ये मनुष्य अपने चारों ओर मृत्यु का तांडव देखते हुए भी अपनी मृत्यु को भूल जाता है।
Read Moreभक्ति का अधिकारी कौन है ?
भगवान केवल भक्ति से ही रीझते हैं अन्य किसी गुण, योग्यता इत्यादि की अपेक्षा नहीं करते। इसलिए भक्ति मार्ग के अधिकारी सभी जीव हैं।
Read Moreभक्ति में अनन्यता परमावश्यक है
हम सभी अनंतानंत जन्मों से भक्ति करते आए हैं क्योंकि जीव अनादि है इसलिए अनंत बार मानव देह मिला, सद्गुरु मिले, हमने भक्ति भी की लेकिन अनन्यता न होने के कारण हमारी भक्ति कभी परिपक्व नहीं हो पाई
Read More